पिछले कई महीनों से हम विशेषज्ञों, डॉक्टरों, और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं से बात कर जन स्वास्थ्य व्यवस्था की ज़मीनी हक़ीक़तों का समझने और उसके भविष्य की संभावनाओं को जानने की कोशिश कर रहे हैं.
इस बार बातचीत के इस सिलसिले को हम उनके पास लेकर गए जो जन स्वास्थ्य व्यवस्था से सीधे तौर पर और सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. बिहार में अलग-अलग समूहों से जुड़ी महिलाओं ने ज़ूम वीडियो कॉल पर बात करते हुए स्वास्थ्य से जुड़े हर मुद्दे पर हमसे खुलकर बात की. कम्प्यूटर का सर्वर ख़राब होने की दिक्कत से लेकर स्वास्थ्य केन्द्रों के भूसा घर में तबदील हो जाने की दास्तान यही बताती है कि ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करना अमूमन भूसे के ढेर में सुई खोजने के समान है.
एनिमेशन – तुषार मदान (https://www.instagram.com/tushaaaaaaa…) और अंजलि सिंह (https://www.instagram.com/papercushion/)