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बायन

“बाबा, कोई डायन कैसे बनती है?” सूखी झील के किनारे खड़े होकर भागीरथ जब यह सवाल अपने पिता मलिंदर से पूछता है, उस वक्त उसकी बिछड़ी हुई मां की परछाई उसके ऊपर मंडरा रही होती है. महाश्वेता देवी की कहानी बायन में भागीरथ अपनी मां को याद करता है और यह जानने की कोशिश करता है कि कैसे उन्हें डोम समुदाय ने बायन (डायन) कहकर अलग कर दिया. यह कहानी बायन के मिथक और डायन प्रथा की सच्चाई को सामने लाने का काम करती है.

पिता और बेटे की बातचीत से भागीरथ की मां चांदीदासी गंगादासी का एक चित्र उभरता है और उसके मन के भीतर की दुनिया की भी झलक मिलती है. हम उसे, उसके बेटे की नज़र से देखते हैं, और यहीं से डायन प्रथा सिर्फ एक खबर नहीं रह जाती बल्कि एक ऐसी कहानी बनती है जो हमें महसूस करने और सोचने पर मजबूर करती है.

‘बायन’ कहानी सुप्रसिद्ध लेखिका महाश्वेता देवी द्वारा लिखी गई है. 1976 में बांग्ला भाषा में प्रकाशित इस कहानी का अंग्रज़ी अनुवाद महुआ भट्टाचार्य ने किया है जो कथा द्वारा प्रकाशित संग्रह ‘सेपरेट जर्नीज़’ में शामिल है. ऑडियो के लिए इसका अंग्रज़ी से हिंदी अनुवाद माधुरी आडवाणी ने किया है.

अनुवाद, प्रस्तुति और प्रोडक्शन द्वारा माधुरा आडवाणी

‘आ जाओ सोने’ गायकी द्वारा आस्था शर्मा

आवरण चित्र: कलाकार बारान इजलाल द्वारा द थर्ड आई के ‘डायन हत्या एवं प्रताड़ना’ सीरीज़ के लिए तैयार किए गए चित्र से एक अंश. यह चित्र सिर्फ़ डिजिटल इस्तेमाल के लिए है.

पृष्ठभूमि में आवाज़ें: शिवम, कुलसुम, गुरलीन, सुमन, सादिया और सामिया

संगीत: ‘दादरा’ द्वारा ज़ेब और हनिया

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माधुरी को कहानियां सुनाने में मज़ा आता है और वे अपने इस हुनर का इस्तेमाल महिलाओं के विभिन्न समुदायों और पीढ़ियों के बीच संवाद स्थापित करने के माध्यम के रूप में करती हैं. जब वे रिकार्डिंग या साक्षात्कार नहीं कर रही होतीं तब माधुरी को यू ट्यूब चैनल पर अपने कहानियों का अड्डा पर समाज में चल रही बगावत की घटनाओं को ढूंढते और उनका दस्तावेज़ीकरण करते पाया जा सकता है. समाज शास्त्र की छात्रा होने के नाते, वे हमेशा अपने चारों ओर गढ़े गए सामाजिक ढांचों को आलोचनात्मक नज़र से तब तक परखती रहती हैं, जब तक कॉफ़ी पर चर्चा के लिए कोई नहीं टकरा जाता. माधुरी द थर्ड आई में पॉडकास्ट प्रोड्यूसर हैं.
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