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एपिसोड 2

एकल इन द सिटी Ep 2: एकल परिवार

एकल इन द सिटी के दूसरे एपिसोड में माधुरी की मुलाक़ात उत्तर-प्रदेश में रहने वाली दो एकल महिलाओं से होती है. 27 वर्षीय सीमा, बांदा की रहने वाली हैं. वे पेशे से पत्रकार हैं और एक हिंदी डिजिटल न्यूज़ चैनल – भारत 1 न्यूज़ – के साथ काम करती हैं, वहीं 28 साल की शब्बो, बुंदेलखंड स्थित महिला अधिकार समूह ‘वनांगना’ की कार्यकर्ता हैं.
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वे संस्था के काम के बारे में लोगों को बताने एवं उन्हें संस्था से जोड़ने का काम करती हैं. दिन में कुछ घंटे वे एक सैनिटरी पैड बनाने वाली फैक्ट्री में भी काम करती हैं. इस एपिसोड में शब्बो और सीमा, दोनों ही खुलकर अपनी बातें साझा कर रही हैं. वे बताती हैं कि कैसे उन्हें शहर के भीतर एकल परिवार मिला.

बुंदेलखंड में जन्म लेने से लेकर वहां की गलियों में बड़े होने, पारिवारिक हिंसा की क्रूरता को झेलने से लेकर तलाक़ से गुज़रने के बाद एक समुदाय में आपसी बहनापे को पाना, यह एपिसोड उन घटनाओं का दस्तावेज़ है जो महिला हिंसा से जुड़ती हैं. ये कहानियां हमें बताती हैं कि महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के तार इतिहास की गलियों से होते हुए किस नए रुप में सामने आते हैं. अक्सर, इसकी पड़ताल से निकलने वाले जवाब हम महिलाओं को भी चौंका जाते हैं. आइए मिलकर सुनते हैं सीमा और शब्बो की कहानी.

माधुरी को कहानियां सुनाने में मज़ा आता है और वे अपने इस हुनर का इस्तेमाल महिलाओं के विभिन्न समुदायों और पीढ़ियों के बीच संवाद स्थापित करने के माध्यम के रूप में करती हैं. जब वे रिकार्डिंग या साक्षात्कार नहीं कर रही होतीं तब माधुरी को यू ट्यूब चैनल पर अपने कहानियों का अड्डा पर समाज में चल रही बगावत की घटनाओं को ढूंढते और उनका दस्तावेज़ीकरण करते पाया जा सकता है. समाज शास्त्र की छात्रा होने के नाते, वे हमेशा अपने चारों ओर गढ़े गए सामाजिक ढांचों को आलोचनात्मक नज़र से तब तक परखती रहती हैं, जब तक कॉफ़ी पर चर्चा के लिए कोई नहीं टकरा जाता. माधुरी द थर्ड आई में पॉडकास्ट प्रोड्यूसर हैं.
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