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एपिसोड 3

स्टे होम, कितना सुरक्षित Ep 3: जेंडर आधारित हिंसा और हमारा मूकदर्शक बने रहना

जेंडर आधारित हिंसा
स्टे होम, कितना सुरक्षित? के तीसरे भाग में हम दर्शक या बाईस्टैंडर की भूमिका की छान-बीन कर रहे हैं – जी हां, आपके और हमारे जैसे लोग, जो जेंडर आधारित हिंसा की स्थितियों में अपने आप को मौजूद पाते हैं.

हम बीच बचाव क्यों नहीं करते? हम बिना रुके अपनी राह चलते जाने को कैसे उचित ठहराते हैं? हमें क्या डर है? क्या दर्शक की सुरक्षा का कोई तरीका है? माधुरी ने शहरों, नगरों, गांवों में रहने वाले लोगों से बात की, दर्शक या बाईस्टैंडर सिनड्रोम को समझने के लिए. इस बातचीत में वो कुछ ऐसे मनोविज्ञानिक पहलुओं से रूबरू हुईं जिनके बारे में हमने पहले सोचा ही नहीं था. Feat: रेडडॉट से इति रावत और बेम्बाला फ़ाउंडेशन से इरम अहमदी.

द थर्ड आई की पाठ्य सामग्री तैयार करने वाले लोगों के समूह में शिक्षाविद, डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मकार, कहानीकार जैसे पेशेवर लोग हैं. इन्हें कहानियां लिखने, मौखिक इतिहास जमा करने और ग्रामीण तथा कमज़ोर तबक़ों के लिए संदर्भगत सीखने−सिखाने के तरीकों को विकसित करने का व्यापक अनुभव है.
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