केसवर्कर्स से एक मुलाकात एपिसोड 3 – हमीदा खातून
इस एपिसोड में मिलिए उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में स्थित सद्भावना ट्रस्ट से जुड़ी हमीदा खातून से. किसी केस से जो भावनात्मक जुड़ाव है वो सबसे पहले एक केसवर्कर करती है.
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इस एपिसोड में मिलिए उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में स्थित सद्भावना ट्रस्ट से जुड़ी हमीदा खातून से. किसी केस से जो भावनात्मक जुड़ाव है वो सबसे पहले एक केसवर्कर करती है.
इस एपिसोड में मिलिए उत्तर-प्रदेश के बांदा ज़िले में स्थित वनांगना संस्था से जुड़ी पुष्पा देवी से, जिनका मानना है कि वे महिला हिंसा पर काम करते हुए केंद्र में महिला को रखती हैं, परिवार को नहीं.
इस एपिसोड में मिलिए उत्तर-प्रदेश के ललितपुर ज़िले में स्थित सहजनी शिक्षा केंद्र से जुड़ी मीना देवी से जो खुद यह समझने की कोशिश कर रही हैं कि कोविड के बाद लोगों की ज़िंदगियों में ऐसे कौन से बदलाव आए हैं जिनकी वजह से महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है.
किसी महिला की ज़रूरतों को केंद्र में रखते हुए उसकी काउंसलिंग करने का क्या मतलब होता है? निर्णय लेते समय महिला के सामने अनेक सामाजिक पहलू खड़े हो जाते हैं जिनमें वह फंसती है और निकलती भी है. कई सवाल सामने होते हैं. जैसे, ससुराल छूटा तो कहां रहूंगी? क्या करूंगी?
अपने आसपास की तमाम खबरों पर अगर नज़र दौड़ाएं तो किसी महिला की मौत का सौदा कितनी आम बात है. इस तरह के सौदे हमारे निजी रिश्तों की क्षणभंगुरता और उसके भुरभुरेपन पर पड़े पर्दे को उघाड़ कर रख देते हैं.
क्या आपने कभी ठहरकर उस कलम की ओर देखने की कोशिश की है जो किसी न किसी तरह से हर वक्त आपके आसपास होती है? कलम ही क्यों, कोई बैग, डायरी, झोला, दुपट्टा रोज़मर्रा की भाग-दौड़ में कभी ठहरकर देखें तो एक मीठा आश्चर्य होता है कि कैसे और कब कोई एक चीज़ इतनी खास हो जाती है कि वो हर वक्त हमारे पास होती है.