लघुकथा

बोलती कहानियां Ep 7: इमला

इमला का मलतब है लिखने का अभ्यास करना. यह कहानी हमारे सामने इस तरह खुलती है कि स्कूल के भीतर कक्षा में मास्टर रामदास बेंत झुलाते हुए फौजी जनरल की तरह चलते हैं. मास्टरजी का खौफ इतना है कि चलते हुए अगर वो किसी बच्चे के सामने रुक जाएं तो उसकी सांस अटक जाती है. एक गलती पर एक बेंत उनका उसूल है. एक दिन, एक बच्चे द्वारा बदतमीज़ी करने पर उसकी शिकायत लेकर मास्टरजी उसके पिता के पास जाते हैं. बच्चे के पिता गांव के प्रधान हैं. अब, प्रधान के सामने मास्टरजी की जो हालत होती है वह देखने लायक है. क्या होता है वहां? यह तो आपको कहानी सुनने के बाद ही पता चलेगा…

हेकड़ी

बोलती कहानियां Ep 6: हेकड़ी

बोलती कहानियां के इस एपिसोड में दिप्ता भोग से सुनिए लेखक विजयदान देथा की कहानी ‘हेकड़ी’. यह कहानी उनके संग्रह ‘बातां री फुलवाड़ी’ के हिंदी अनुवाद से ली गई है जिसके प्रकाशक राजस्थान ग्रंथागार हैं.

दाई

बोलती कहानियां Ep 5: दाई

बोलती कहानियां के इस एपिसोड में स्वाती कश्यप से सुनिए लेखक हरीश मंगल की कहानी ‘बेनी मां’ का हिंदी अनुवाद – दाई. इस कहानी की मुख्य किरदार हैं बेनी मां, जो आम तो बेचती ही हैं, साथ ही वे दाई के काम में भी बहुत कुशल हैं. पर, बेनी मां की ये कुशलता भी उन्हें गांववालों के साथ खड़े होने की जगह नहीं देती. क्यों?

तुम किसकी हो बिन्नी?

बोलती कहानियां Ep 4: तुम किसकी हो बिन्नी?

बोलती कहानियां के इस नए एपिसोड में स्वाती कश्यप से सुनिए मैत्रयी पुष्पा की कहानी ‘तुम किसकी हो बिन्नी’ का भावात्मक रूपांतरण. दो लड़कियों के पैदा होने के बाद जब बिन्नी की मां तीसरी बार गर्भवती हुईं तो सबको पक्का यकीन था कि इस बार लड़का ही होगा, मगर हो गई बिन्नी! उसके बाद क्या हुआ सुनें इस कहानी में.

गुमसुम सी छत

मोहल्ले के तमाम घरों को जोड़ती छतें खुली और विशाल दिखाई देती हैं. ठीक उसके उलट हमारा अन्तर्मन कई तरह की घेरों में बंधा होता है. इसी बीच ज़िंदगियां चलती-बदलती रहती हैं. अंकुर संस्था से जुड़ी रौशनी की इस बयानी में छत किसी अंदर-बाहर की अदला-बदली को चरितार्थ करती हुई दिखाई देती है. कोविड का समय एवं मानसिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर लोगों पर पड़े उसके प्रभावों को रौशनी बहुत ही सीधे शब्दों में सामने रख देती हैं.

आटे सने हाथ

बोलती कहानियां Ep 3: आटे सने हाथ

बोलती कहानियां के इस एपिसोड में अनीता से सुनिए कहानी ‘आटे सने हाथ ‘. शिक्षा का अधिकार सबको है मगर एक लड़की को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए क्या-क्या मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं? आइए मिलकर इस कहानी के ज़रिए जानते हैं.

बेटा किसका?

बोलती कहानियां Ep 2: बेटा किसका?

बोलती कहानियां के इस एपिसोड में अनीता से सुनिए कहानी ‘बेटा किसका?’ और जानें कि जब वीरमति से ये सवाल पूछा गया तो कैसे उसने सबकी बोलती बंद की.

रोटी बनाए टंटू

बोलती कहानियां Ep 1: रोटी बनाए टंटू

बोलती कहानियां के इस एपिसोड में अनीता से सुनिए कहानी ‘रोटी बनाए टंटू’ और जानें क्या होता है जब पति और पत्नी एक दिन के लिए अपनी ज़िम्मेदारियों की अदला-बदली कर लेते हैं.

डर

मैं उठते ही पलंग पर बैठ गई. बालों में रबड़बैंड लगाते हुए ज़मीन पर खड़ी हो गई. शाम के छह बज रहे थे. कान बंद होने के कारण बाहर से आती हुई आवाज़ें धीमी सुनाई दे रही थीं. नाक में कफ़ जमा होने की वजह से मुंह से सांस लेने पर गला एकदम सूख रहा था.

स्कूल के नाम पत्र

प्रिय स्कूल तुम कैसे हो? इन दिनों जब हम स्कूल नहीं आ रहे हैं, क्या तुम अभी भी रोज़ खुल रहे हो? सुना है, आज-कल तुम राशन-घर बन गए हो, कुछ प्रवासी मज़दूर तुम्हारे कमरों में रह रहे हैं. उनका ख्याल रखना. समझना कि यही लोग हमारी कमियों को पूरा कर रहे हैं.

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