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एपिसोड 3

बोलती कहानियां Ep 3: आटे सने हाथ

आटे सने हाथ
बोलती कहानियां के इस एपिसोड में अनीता से सुनिए कहानी ‘आटे सने हाथ’. डॉक्टर कुसुम वियोगी द्वारा लिखित ये कहानी मुहिम प्रकाशन की किताब समकालीन दलित कहानियां में प्रकाशित हुई थी और इसका ये भावात्मक रूपांतरण निरंतर ट्रस्ट की पत्रिका ‘आपका पिटारा’ से लिया गया है. निरंतर ट्रस्ट ने इसे अपनी फील्ड में अनगिनत कार्यशालाओं में चर्चा के लिए प्रयोग भी किया है.

शिक्षा का अधिकार सबको है मगर एक लड़की को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए क्या-क्या मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं? आइए इस कहानी के ज़रिए जानते हैं.

कार्यशालाओं और अन्य चर्चाओं में ये कहानी सुनाने के बाद इन सवालों से चर्चा को आगे बढ़ाया जा सकता है: स्कूल जाते लड़के और लड़कियों के जीवन में आपको क्या अंतर दिखाई देता है? क्या आपके आस-पास ऐसे घर हैं जो लड़कियों को स्कूल नहीं भेजना चाहते, इसके लिए वे क्या कारण बताते हैं? लड़कियों की पढ़ाई को महत्त्व न दिए जाने के क्या कारण हैं? स्कूल जाती लड़कियों से संबंधित आंकड़े क्या हैं?

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‘बोलती कहानियां’ में हर बार हम लेकर आते हैं जेंडर, यौनिकता, सत्ता, जाति, जेंडर आधारित हिंसा जैसे विषयों पर एक नई रोचक कहानी. निरंतर के पिटारे के साथ-साथ हिन्दी साहित्य के विशाल भंडारे से चुनकर निकाली गई इन कहानियों के कई उपयोग हो सकते हैं. इन्हें जेंडर कार्यशालाओं में सुनाया जा सकता है, जहां गंभीर एवं जटिल विषयों पर बातचीत के लिए ये कहानियां सहायक का काम करती हैं. इन कहानियों को स्कूली विद्यार्थियों, कम्यूनिटी लाइब्रेरी, यूथ ग्रुप्स, प्रौढ़ शिक्षा केंद्र, पुरूषों के चर्चा समूहों में भी संबंधित विषयों पर बातचीत के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जो आमतौर पर उनके विमर्श के केंद्र से बाहर ही रहते हैं. निरंतर ट्रस्ट ने खुद इन कहानियों का इस्तेमाल फील्ड वर्कशॉप्स में किया है और इनसे वहां कभी गहरी, कभी रोचक और कभी चौका देने वाली चर्चाएं निकलकर सामने आई हैं.

सादिया सईद द थर्ड आई में टेकनिकल हेड और संपादकीय संयोजक हैं.
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