निरंतर रेडियो

एपिसोड 2

बोलती कहानियां Ep 2: बेटा किसका?

बेटा किसका?
बोलती कहानियां के इस एपिसोड में अनीता से सुनिए कहानी ‘बेटा किसका?’. ये कहानी निरंतर ट्रस्ट की पत्रिका ‘आपका पिटारा’ से ली गई है. निरंतर ट्रस्ट ने इस कहानी को अपनी फील्ड में अनगिनत कार्यशालाओं में चर्चा के लिए प्रयोग भी किया है. आइए सुनें ये मज़ेदार कहानी और जानें कि जब वीरमति से ‘बेटा किसका?’ सवाल पूछा गया तो कैसे उसने सबकी बोलती बंद की.

कार्यशालाओं और अन्य चर्चाओं में ये कहानी सुनाने के बाद इन सवालों से चर्चा को आगे बढ़ाया जा सकता है: इस कहानी में जो हुआ क्या आपने अपने आस-पास भी होते देखा है? बच्चे पर पहला हक किसका माना जाता है और किसका होना चाहिए? एक मां अपने बच्चे के लिए सब कुछ करती है, उसका ध्यान रखती है, उसे पाल-पोस कर बड़ा करती है, मगर इसके बदले में क्या उसे बच्चे पर अधिकार मिलता है? क्या वो उसकी ज़िंदगी से संबंधित निर्णय ले सकती है? बच्चे पर किसका अधिकार है? इस सवाल पर कानून क्या कहता है?

‘बोलती कहानियां’ में हर बार हम लेकर आते हैं जेंडर, यौनिकता, सत्ता, जाति, जेंडर आधारित हिंसा जैसे विषयों पर एक नई रोचक कहानी. निरंतर के पिटारे के साथ-साथ हिन्दी साहित्य के विशाल भंडारे से चुनकर निकाली गई इन कहानियों के कई उपयोग हो सकते हैं. इन्हें जेंडर कार्यशालाओं में सुनाया जा सकता है, जहां गंभीर एवं जटिल विषयों पर बातचीत के लिए ये कहानियां सहायक का काम करती हैं. इन कहानियों को स्कूली विद्यार्थियों, कम्यूनिटी लाइब्रेरी, यूथ ग्रुप्स, प्रौढ़ शिक्षा केंद्र, पुरूषों के चर्चा समूहों में भी संबंधित विषयों पर बातचीत के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जो आमतौर पर उनके विमर्श के केंद्र से बाहर ही रहते हैं. निरंतर ट्रस्ट ने खुद इन कहानियों का इस्तेमाल फील्ड वर्कशॉप्स में किया है और इनसे वहां कभी गहरी, कभी रोचक और कभी चौका देने वाली चर्चाएं निकलकर सामने आई हैं.

सादिया सईद द थर्ड आई में टेकनिकल हेड और संपादकीय संयोजक हैं.
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