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एपिसोड 2

स्टे होम, कितना सुरक्षित Ep 2: जेंडर आधारित हिंसा के केन्द्र में तकनीक

अगर ज़्यादा से ज़्यादा लोग ऑनलाइन की तरफ़ बढ़ रहे हैं, तो समाज में मौजूद हिंसा कहां जा रही है? ज़ाहिर है, ऑनलाइन. ‘स्टे होम, कितना सुरिक्षत?’ के दूसरे एपिसोड में, माधुरी समझने की कोशिश कर रही हैं कि क्या हमारा डिजिटल सेल्फ़ हमारी परछाई है? या हमारी पहचान का अटूट अंग?
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इंटरनेट पर आने से हमारी पहचान किस तरह बदलती है और क्यों सरकारी एजेंसियां और प्राइवेट कंपनियां हमारे डेटा में दिलचस्पी रखती हैं? इस एपिसोड के ज़रिए दर्शकों को यह जानकारी भी मिलती है कि जेंडर के आधार पर जो हिंसा तकनीक के माध्यम से हो रही है, उसके ख़िलाफ़ हम क़ानूनी लड़ाई कैसे लड़ सकते हैं. माधुरी, इस एपिसोड के लिए ‘पॉइंट ऑफ़ व्यू’ की बिशाखा दत्ता और ‘वन फ़्यूचर कलेक्टिव’ की उत्तांशी अग्रवाल से मुलाक़ात करती हैं.

द थर्ड आई की पाठ्य सामग्री तैयार करने वाले लोगों के समूह में शिक्षाविद, डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मकार, कहानीकार जैसे पेशेवर लोग हैं. इन्हें कहानियां लिखने, मौखिक इतिहास जमा करने और ग्रामीण तथा कमज़ोर तबक़ों के लिए संदर्भगत सीखने−सिखाने के तरीकों को विकसित करने का व्यापक अनुभव है.
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