छेड़खानी
हमारे पहले दो सत्र खेलकूद के साथ एक दूसरे को जानने की कोशिश थे. पहले सत्र में, बहुत सारे खेल खेलने के बाद जब हम बातचीत के लिए बैठे, तो टोली की एक 18 या उससे कम उम्र की लड़की ने झट से कहा कि इस सत्र ने उसे उसके बचपन की याद दिला दी.
द थर्ड आई होम » लेखक - अपेक्षा वोरा
हमारे पहले दो सत्र खेलकूद के साथ एक दूसरे को जानने की कोशिश थे. पहले सत्र में, बहुत सारे खेल खेलने के बाद जब हम बातचीत के लिए बैठे, तो टोली की एक 18 या उससे कम उम्र की लड़की ने झट से कहा कि इस सत्र ने उसे उसके बचपन की याद दिला दी.
हममें से आठ — बस्ती की चार लड़कियां और चार उम्रदराज महिलाएं — अलग-अलग जगहों की कल्पना करते हुए कमरे में घूम रही हैं. हम कभी खुले मैदान में चल रही हैं तो कभी मेट्रो पकड़ रही हैं. कभी हम ख़ुशी और उल्लास के मारे चीख रही हैं, चिल्ला रही हैं तो कभी अचानक से शुरू हो गई बारिश में भीग रही हैं.
कोविड की दूसरी लहर की तबाही के बीचों-बीच हमने थर्ड आई के डिजिटल एजुकेटर्स के साथ यह कार्यशाला की थी. थिएटर, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्म के अपने अनुभवों के आधार पर मैंने कार्यशाला से जुड़े साथियों से बात कर हर संभव कोशिश की, जिससे उन्हें एक सार्थक अनुभव हो और उनके साथ मैं भी अपनी आवाज़ खोज पाऊं.
खेल की अपनी ही एक अनोखी दुनिया है. यहां हार–जीत, उत्साह-निराशा, गुस्सा-ख़ुशी और तमाम तरह की चालाकियों का स्वागत है. और लक्ष्य सिर्फ एक, अपना सबसे बेहतरीन खेल खेलना.