“छोटी बहू, अरे ओ छोटी बहू…” घर में सुबह से लेकर रात तक बस यही एक राग सुनाई देता है. घर हो या बाहर या फिर काम की जगह, उसका पूरा दिन सिर्फ़ भागते-दौड़ते ही बीत जाता. कभी शरारती सुनिता के नाम से मशहूर,आज वो सिर्फ़ छोटी बहू बनकर रह गई है…क्या है छोटी बहू की कहानी सुनिए राजकुमारी और आरती अहिरवार की ज़ुबानी.
भारत के ग्रामीण इलाकों से निकले, शिक्षा के अनुभव और उनमें कल्पनाओं के पंख लगाए 10 कहानियों की यह ऑडियो शृंखला अब आपके सामने है. इस शृंखला की हर कहानी अपने आप में शिक्षा के अनुभवों और उन्हें देखने के नज़रिए से बिलकुल जुदा है. ये कहानियां सवाल करती हैं कि क्लासरूम के बाहर हम शिक्षा को कैसे देखते हैं? और उससे भी महत्त्वपूर्ण कि शिक्षा तक पहुंच किसकी है?
प्रस्तोता – राजकुमारी अहिरवार और आरती अहिरवार
लेखक – राजकुमारी प्रजापति, राजकुमारी अहिरवार और आरती अहिरवार
रेडियो प्रोड्यूसर – माधुरी आडवाणी
आवरण – सादिया सईद
अनुभवी परामर्शदाता – माधुरी आडवाणी
संगीत साभार – शबनम विरमानी
टाइटल गीत लेखक – अरूण गुप्ता
टाइटल संगीत गायन – वेदी
एपिसोड संगीत – शबनम विरमानी
साथ ही हम आह्वान प्रोजेक्ट के भी आभारी हैं जिन्होंने हमें अपने गीत “ना देख आंखों से” (लेखक – अरुण गुप्ता, संगीत – शबनम विरमानी) के शुरुआती बोल एवं उसके संगीत को ऑडियो कहानियों में इस्तेमाल करने की इजाज़त दी है.
हम चंबल मीडिया से जुड़ी लक्ष्मी और निरंतर संस्था से जुड़ी अनिता और प्रार्थना को भी तहे दिल से धन्यवाद कहना चाहते हैं जिन्होंने अपनी व्यस्तता के बावजूद कहानियों को सुनकर उनपर अपनी प्रतिक्रिया हमसे साझा की.
हफ्ते में दो दिन – सोमवार और बुधवार – को नई कहानी सुनने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें.
अपने शिक्षा के अनुभव साझा करने के लिए आप हमे हमारे ईमेल आईडी पर लिख सकते है : [email protected]