वे कौन लोग हैं जो जेंडर आधारित हिंसा पर काम करते हैं? उनका खुद का अतीत क्या है? वह क्या है जो उन्हें इस मुद्दे से जोड़े रखता है? इस एपिसोड में मिलिए उत्तर-प्रदेश के ललितपुर ज़िले में स्थित सहजनी शिक्षा केंद्र से जुड़ी मीना देवी से, जो खुद यह समझने की कोशिश कर रही हैं कि कोविड के बाद लोगों की ज़िंदगियों में ऐसे कौन से बदलाव आए हैं जिनकी वजह से महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा लगातार बढ़ती जा रही हैं.
साल 2022 में हमने उत्तर-प्रदेश के ललितपुर, बांदा और लखनऊ ज़िले में काम करने वाली 12 केसवर्करों के साथ काम किया, एक-दूसरे को सुना और समझा भी. हमारी इसी गहन प्रक्रिया से कुछ शब्द निकले और उनपर चर्चा करते-करते ‘हिंसा की शब्दावली’ ने जन्म लिया. यह शब्दावली केसवर्करों के काम, अनुभव और ज़िंदगी के प्रति उनकी समझ को समेटे हुए है. इसमें जेंडर आधारित हिंसा से जुड़े उन महत्त्वपूर्ण शब्दों को शामिल किया गया है, जिनकी मदद से ज्ञान और समझ का निर्माण होता है.
शब्दावली पर काम करने वाली सभी केसवर्कर हत्या, बलात्कार, अपहरण, बच्चों के यौन शोषण, दहेज हत्या और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर काम करती हैं. ये सभी अपने समुदायों के बीच से ही निकलकर आई हैं. इनमें से कुछ तो खुद भी हिंसा का शिकार रही हैं.
इस प्रोजेक्ट का एक मकसद केसवर्करों के काम को नए नज़रिए से देखना भी है. अबतक हम उन्हें संकट के समय मदद के लिए सबसे पहले खड़ी होने वाली मददगार के रूप में देखते आए हैं. लेकिन, यह शब्दावली उन्हें ऐसे व्यक्तियों के रूप में पेश करती है जो सक्रिय रूप से न्याय की खोज में जुटी हैं और जिन्हें इस बात का ज्ञान है कि ज़मीनी स्तर पर ‘न्याय’ की क्या स्थिति है और इसे पाने के लिए किस तरह की भुलभुलैया से गुज़रना होता है.
‘केसवर्कर्स से एक मुलाकात’ सीरीज़ के ज़रिए मिलिए उन 12 केसवर्करों से जिन्होंने हिंसा की शब्दावली को तैयार करने का काम किया है. और जानिए कि कोविड के बाद महिला हिंसा से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी के क्या कारण हैं?