टीचर टॉक्स: सीज़न 2. एपिसोड 1

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मिलिए वहीदा खातून से.

जहां लड़कियों को पढ़ाया ही नहीं जाता या पढ़ाई बीच में छुड़वा कर उनकी शादी कर दी जाती है, वहां शिक्षक बनने का सपना क्या मायना रखता है?

टीचर टॉक्स के दूसरे सीज़न में मिलिए ऐसी शिक्षिकाओं से जो अपने परिवार में शिक्षा प्राप्त करने वाली पहली पीढ़ी से हैं. वीडियो में वे बतौर विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने के अपने अनुभवों के साथ, वर्तमान में अनौपचारिक शिक्षण केंद्रों में बच्चों को पढ़ाने के अनुभव साझा कर रही हैं.

एपिसोड 1 में मिलिए पाकुर झारखंड में रहने वाली वहीदा खातून से जो यह मानती हैं कि एक शिक्षिका होने से पहले वे एक विद्यार्थी हैं.

वहीदा कहती हैं, “जब मैं पढ़ने के लिए स्कूल में जाती थी तभी से मेरे मन में शिक्षिकाओं को देखकर बहुत खुशी महसूस होती थी. वे सज-धज कर स्कूल आतीं और हमें पढ़ातीं ‘अ से अनार, आ से आम’, वो देखकर मैं सोचती कि क्यों न मैं भी इन्हीं की तरह बनूं.”

यहीं से वहीदा के मन में शिक्षिका बनने का सपना अंकुरित होता है. लेकिन, जब वे 9वीं कक्षा में थीं तभी उनकी शादी कर दी गई. 9 महीने के गर्भ के साथ उन्होंने दसवीं की परीक्षा दी और पास भी हुईं. तीन साल और दो बच्चों की मां बनने के बाद एक सुबह अपनी बालकनी से कीचड़ में छपाक करते, स्कूल से लौटते बच्चों को देखकर उनके मन में वापस स्कूल जाने की हुक उठी. मिशन स्कूल में पढ़ाई करने की वो सारी स्मृतियां वहीदा को रह-रहकर बेचैन करने लगीं. आखिरकार, वे वापस से स्कूल लौटने में कामयाब हुईं.

आज, वे झारखंड के पाकुर ज़िले में एक गैर सरकारी संगठन फेस – एफएसीई (FACE) द्वारा चलाए जा रहे बालिका शिक्षण केंद्र से जुड़ी हैं. वीडियो में वहीदा सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों एवं बच्चों की उदासीनता और बालिका शिक्षण केंद्र जैसे अनौपचारिक शिक्षण केंद्रों में प्रत्येक बच्चे की पढ़ाई पर ध्यान देने की प्रक्रियाओं के बारे में बताती हैं. उनका मानना है कि समुदाय के लोगों के बीच शिक्षा की ज़रूरत एवं उससे होने वाले फायदे के बारे में बताकर अभिभावकों को इस बात के लिए राज़ी किया जा सकता है कि वे अपनी लड़कियों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें. झारखंड राज्य में फेस द्वारा ऐसे 40 अनौपचारिक शिक्षण केंद्र चलाए जा रहे हैं जिनमें 1200 के करीब लड़कियां शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. यहां लड़कियों को पांचवीं कक्षा तक की शिक्षा दी जाती है.

मिलिए, वहीदा खातून से और जानिए विद्यार्थी और शिक्षक होने की बदलती भूमिकाओं के मज़ेदार किस्से.

टीचर टॉक्स सीरीज़ के अन्य एपिसोड यहां देखें.

द थर्ड आई की पाठ्य सामग्री तैयार करने वाले लोगों के समूह में शिक्षाविद, डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मकार, कहानीकार जैसे पेशेवर लोग हैं. इन्हें कहानियां लिखने, मौखिक इतिहास जमा करने और ग्रामीण तथा कमज़ोर तबक़ों के लिए संदर्भगत सीखने−सिखाने के तरीकों को विकसित करने का व्यापक अनुभव है.

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