मानसिक स्वास्थ्य

सक्षमतावाद और मेरिट का जंजाल

‘हमेशा देर कर देता हूं मैं हर काम करने में’ कॉलेज कैम्पस के भीतर ऐसे स्लोगन वाले टी-शर्ट पहने विद्यार्थी आसानी से दिखाई दे जाते हैं. मुझे लगता है कि पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान ऐसे स्लोगनस ने मेरे कैम्पस में अच्छी-खासी लोकप्रियता हासिल कर ली है. मेरी नज़र में इसका कारण फाइनल इग्ज़ैम है, जिसका वक्त बहुत नज़दीक आ पहुंचा है.

जाति का हमारे मानसिक स्वास्थ्य से क्या लेना-देना है?

डॉ. किरण वालेके ने द ब्लू डॉन – मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक सहयोगी संस्था- के साथ काम किया है और साफ़गोई भरे इस लेख में उन्होंने जाति, मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा तक पहुंच के बारे में एक विश्लेषण पेश किया है.

“मैं पागलपन की सर्वाइवर नहीं, मनोचिकित्सा की सर्वाइवर हूं.”

द थर्ड आई टीम ने मुलाक़ात की लेखक एवं शोधकर्ता जयश्री कलिथल से. जयश्री, भारत में मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करने वाले शुरुआती कार्यकर्ताओं में से एक हैं जिन्होंने मानसिक तनाव एवं इससे जुड़ी परेशानियों के इर्द-गिर्द अपना कब्ज़ा जमा चुके मेडिकल मॉडल को अनुभवों एवं ज्ञान के स्तर पर चुनौती दी है.

दर्द के नक्शे

हमारे डिजिटल एजुकेटर्स ने ऑनलाइन एक कार्यशाला के ज़रिए अपने शरीर के और अपने आसपास के दर्द को समझने का प्रयास किया. कार्यशाला में क्या बातें हुईं और कैसे साथियों ने अपने दर्द का नक्शा बनाया इस वीडियो के ज़रिए देखें.

दर्द की नक्शानवीसी

कोविड की दूसरी लहर की तबाही के बीचों-बीच हमने थर्ड आई के डिजिटल एजुकेटर्स के साथ यह कार्यशाला की थी. थिएटर, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्म के अपने अनुभवों के आधार पर मैंने कार्यशाला से जुड़े साथियों से बात कर हर संभव कोशिश की, जिससे उन्हें एक सार्थक अनुभव हो और उनके साथ मैं भी अपनी आवाज़ खोज पाऊं.

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