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“वहां देखो, ज़िंदा होने पर एक बेटी के शरीर का सौदा, अब मरने के बाद एक लाश का सौदा! वाह रे समाज क्या खूब है…”

अपने आसपास की तमाम खबरों पर अगर नज़र दौड़ाएं तो किसी महिला की मौत का सौदा कितनी आम बात है. इस तरह के सौदे हमारे निजी रिश्तों की क्षणभंगुरता और उसके भुरभुरेपन पर पड़े पर्दे को उघाड़ कर रख देते हैं.

शहर जैसे आग का दरिया

ये कहानी एक प्रेम कहानी है जिसमें तीन किरदार हैं – एक भाई, एक बहन और एक स्मार्टफोन. और एक की मौत हो जाती है. जिगर मुरादाबादी ने कहा है कि – ये इश्क़ नहीं आसां इतना ही समझ लीजे/एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है… ये कहानी भी ऐसे ही एक दरिया की दास्तां हैं.

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