
#21seKyaHoga: मेरी इच्छा का क्या? | भाग 3
हम किसे, कब और कैसे प्यार करते हैं, क्या इसे कानून नियंत्रित कर सकता है? क्या एक औरत की इच्छा पर और पहरा लगाया जा सकता है?
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सामाजिक, राजनीतिक, बौद्धिक विचार के रूप में काम. इसके इतिहास और विकास की नारीवादी नज़रिए से छानबीन
हम किसे, कब और कैसे प्यार करते हैं, क्या इसे कानून नियंत्रित कर सकता है? क्या एक औरत की इच्छा पर और पहरा लगाया जा सकता है?
क्या उन तक ऑनलाइन शिक्षा पहुंच पा रही है? क्या छात्र इंटरनेट या उपकरण जुटा पा रहे हैं? शिक्षा के क्षेत्र में इस विकल्प पर उनके क्या विचार हैं?
ऐश्वर्या रेड्डी के दुखद देहांत ने, खासकर शिक्षा के संदर्भ में, भारत में मौजूद दो अलग-अलग दुनियाओं की डिजिटल तक पहुंच के फर्क को उजागर किया है.
शादी की उम्र बड़ा देने से शिक्षा का बुनियादी ढांचा कैसे हम तक पहुंच जाएगा? अलवर, राजस्थान की लड़कियों ने पूछा. अगर कोई स्कूल ही नहीं है, आने- जाने के लिए परिवहन की सुविधा नहीं है. शादी की कानूनन उम्र बदल कर 21 करने से हमें स्कूल जाने में कैसे मदद मिलेगी?
भाग 3 में हम मिल रहे हैं टीच फॉर इंडिया की फेलो, मुम्बई में रहने वाली फ्रेया से जिन्होंने महसूस किया कि उनके BMC स्कूल छात्र कुछ सीख सकें इससे पहले उन्हें खाना खाने की ज़रुरत है.
विकलांगता अधिकारों के लिए काम करने वाली जीजा घोष ने कोविड-19 के कारण राष्ट्र स्तर पर हुए लॉकडाउन के दौरान विकलांग समुदाय के लोगों से बातचीत की.
जहां अनीता हमारे लिए फील्ड से कहानियां और चर्चाएं लेकर आती हैं. कहानियां, जो निरंतर की ‘आपका पिटारा’ पत्रिका में छापी गईं और फील्ड में काफी सुनी और सुनाई गईं.
स्टे होम, कितना सुरक्षित? के तीसरे भाग में हम दर्शक या बाईस्टैंडर की भूमिका की छान-बीन कर रहे हैं.
‘बुलंद आवाज़ें’ शृंखला में जिस पहले मुद्दे पर हम बात करने जा रहे हैं, वो है – भारत में लड़कियों की शादी की तय की गई कानूनन उम्र में किया जा रहा बदलाव.
बुलंद आवाज़ें का पहला खण्ड, भारतीय महिलाओं की शादी की वैधिक उम्र में किए जा रहे बदलाव की पड़ताल करता है.