फिल्मी शहर एपिसोड 1: छोटा शहर
‘फिल्मी शहर’ ऑनलाइन मास्टरक्लास में हम अविजित मुकुल किशोर के साथ मिलकर सिनेमा की भाषा एवं उसके नज़रिए की पड़ताल करेंगे. इस मास्टरक्लास के पहले एपिसोड का विषय है – छोटा शहर.
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‘फिल्मी शहर’ ऑनलाइन मास्टरक्लास में हम अविजित मुकुल किशोर के साथ मिलकर सिनेमा की भाषा एवं उसके नज़रिए की पड़ताल करेंगे. इस मास्टरक्लास के पहले एपिसोड का विषय है – छोटा शहर.
चर्चित फ़िल्मकार अविजित मुकुल किशोर की फ़िल्में बदलते शहर, कस्बे और उनमें रहने वाले लोगों और जगहों की बात करती हैं. अपने कैमरे के ज़रिए वे यहां होने वाले बदलाव को बहुत ही ख़ूबसूरती से क़ैद करते हैं. ‘फ़िल्मी शहर’ ऑनलाइन मास्टरक्लास में हम अविजित मुकुल किशोर के साथ मिलकर सिनेमा की भाषा एवं उसके नज़रिए की पड़ताल करेंगे.
‘नक्शा-ए-मन’ चित्रों के ज़रिए हमारे ‘ट्रैवल-लोग’ के सफ़रनामे को दर्शाने का प्रयास है. द थर्ड आई ट्रैवल फेलोशिप – ट्रैवल-लोग – में हमने अलग-अलग जगहों से चुने हुए 13 लेखकों एवं डिज़ाइनरों के साथ मिलकर काम किया ताकि वे नारीवादी नज़र से शहर की कल्पना को शब्द-चित्रों में सजीव कर सकें.
शहरों का सपना देखने वाले, शहर के भीतर रहने वाले और शहर को बनाने वाले – इन सभी के ज़रिए हम शहर को देखने का नज़रिया तलाश कर रहे हैं.
लॉकडाउन में घर के अंदर पूरी तरह बंद होने के बाद आज, लगभग 18 महीने के बाद हम धीरे-धीरे घर से बाहर निकलकर अपने दफ़्तर जा रहे हैं, दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल रहे हैं. कैसे? इसकी एक बड़ी वजह है कोरोना की वैक्सीन.
ब्लैक बॉक्स के इस नए एपिसोड में रमाबाई का किरदार निभा रही कलाकार रिज़वाना फातिमा, हमें रमाबाई के जीवन के उन अहम हिस्सों से रू-ब-रू करवा रही हैं जिसे आज के समय में हम ज़्यादा गहराई से महसूस कर सकते हैं.
बिहार में अलग-अलग समूहों से जुड़ी महिलाओं ने ज़ूम वीडियो कॉल पर बात करते हुए स्वास्थ्य से जुड़े हर मुद्दे पर हमसे खुलकर बात की. कम्प्यूटर का सर्वर ख़राब होने की दिक्कत से लेकर स्वास्थ्य केन्द्रों के भूसा घर में तबदील हो जाने की दास्तान यही बताती है कि ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करना अमूमन भूसे के ढेर में सुई खोजने के समान है.
डॉ. ललिता रेगी और रेगी जॉर्ज ने 1992 में ट्राइबल हेल्थ इनिशिएटिव की स्थापना की. एक कमरे में लगे सौ वॉट के बल्ब के साथ उन्होंने अपने सफ़र की शुरुआत की थी. आज ये एक कमरा, 35 बिस्तरों वाले बड़े से अस्पताल में बदल चुका है.
स्वास्थ्य का अधिकार हमारे मौलिक अधिकारों में शामिल है. लेकिन आज़ादी के 75 साल बाद भी क्या स्वास्थ्य सुविधाएं सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध हैं? इस वीडियो प्रस्तुति में चंबल मीडिया और द थर्ड आई टीम के साथ जानिए—क्या है जन स्वास्थ्य व्यवस्था और कर्ज़ में डूबते भारत का असल सच?
उदारीकरण के दौर में आर्थिक सुधारों के साथ जो चीज़ सबसे ज़्यादा उभरकर सामने आई वह थी सरकारी क्षेत्रों में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी. स्वास्थ्य में इस मॉडल के असर को गहराई से समझने के लिए हमने पेशे से शोधकर्ता बिजोया रॉय से बात की.