
अवचेतन और यौनिकता शृंखला, भाग 1 – कमी
मेरे लिए दिलो-दिमाग या अवचेतन (गफिल), ये उन सारी हकीकतों का एक दायरा है, जिसे सीधे—सीधे न महसूस किया जा सकता है, न सोचा जा सकता है. इसे सीधे सुना, देखा या छुआ भी नहीं जा सकता. फिर भी यह एक ज़ोर है जो बहुत ही ताकतवर है, और जो निरंतर हर उस चीज़ पर असर करता है जिसे हम महसूस करते हैं, सोचते हैं और समझते हैं.