
अवचेतन और यौनिकता शृंखला l भाग 3: तर्कसंगति की सीमाएं
जब हम या हमारे दोस्त प्यार में लिए गलत फैसलों के लिए खुद को कोसते हैं, तो ऐसी हालत को हम अक्सर मनोविश्लेषक ब्रूस फिंक के ‘पुल पैराडाइम’ कहे जाने वाले नज़रिए से देखते हैं. प्रेम के किस्से इस तरह गढ़े गए हैं कि हम मान लेते हैं कि दूसरे शख्स में कुछ तो है जो हमें उनकी ओर “खींचता” है. इस ‘पुल पैराडाइम’ में, हम मानते हैं कि इसमें कशिश की खास भूमिका होती है, जो यह तय करती है कि हम किसके प्यार में पड़ेंगे या किसके प्रति आकर्षित होंगे.