“शिक्षा केंद्र में जेंडर की ट्रेनिंग लेते हुए समझ आया कि घर पर पति जो हमारे साथ मार-पीट करता है, हमारी कमाई छीनकर अपनी मर्ज़ी से खर्च करता है, ये गलत है. तो हमने अपने साथ मार-पीट रोकी. और ये बुंदेलखंड इलाका है तो यहां महिलाओं, किशोरियों के साथ हिंसा की रोज़ घटनाएं घटती हैं. हमने सोचा कि हमें इन महिलाओं को भी हिंसा से बचाना है.” द थर्ड आई के साथ बात करते हुए कुसुम कहती हैं, “एक केसवर्कर्स के बतौर हम महिलाओं को कानूनी तौर पर, सामाजिक तौर पर और मानसिक तौर पर सपोर्ट करते हैं.”
वे कौन लोग हैं जो जेंडर आधारित हिंसा पर काम करते हैं? उनका खुद का अतीत क्या है? वह क्या है जो उन्हें इस मुद्दे से जोड़े रखता है? केसवर्कर्स से एक मुलाकात के इस एपिसोड में मिलिए महरौनी, उत्तर-प्रदेश की रहने वाली कुसुम से, जो महरौनी स्थित सहजनी शिक्षा केंद्र के साथ 2008 से काम कर रही हैं.
अपने अनुभवों को साझा करते हुए कुसुम बताती है, “एलएलबी तो हमने नहीं की है, इनसे तो हम बहुत दूर हैं लेकिन हमें पता है कि किस केस में किस तरह की धारा लगना चाहिए. हमें अपने काम से तब खुशी मिलती है जब हम किसी महिला को ससुराल में हो रही हिंसा से बाहर निकाल पाते हैं, एफ.आई.आर. दर्ज करवा पाते हैं, जो धाराएं हमें लगवानी हैं वो धाराएं लगवा पाते हैं.”
साल 2022 में हमने उत्तर-प्रदेश के ललितपुर, बांदा और लखनऊ ज़िले में काम करने वाली 12 केसवर्करों के साथ काम किया, एक-दूसरे को सुना और समझा भी. हमारी इसी गहन प्रक्रिया से कुछ शब्द निकले और उनपर चर्चा करते-करते ‘हिंसा की शब्दावली’ ने जन्म लिया. यह शब्दावली केसवर्करों के काम, अनुभव और ज़िंदगी के प्रति उनकी समझ को समेटे हुए है. इसमें जेंडर आधारित हिंसा से जुड़े उन महत्त्वपूर्ण शब्दों को शामिल किया गया है, जिनकी मदद से ज्ञान और समझ का निर्माण होता है. शब्दावली पर काम करने वाली सभी केसवर्कर हत्या, बलात्कार, अपहरण, बच्चों के यौन शोषण, दहेज हत्या और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर काम करती हैं. ये सभी अपने समुदायों के बीच से ही निकलकर आई हैं. इनमें से कुछ तो खुद भी हिंसा का शिकार रही हैं.
इस प्रोजेक्ट का एक मकसद केसवर्करों के काम को नए नज़रिए से देखना भी है. अबतक हम उन्हें संकट के समय मदद के लिए सबसे पहले खड़ी होने वाली मददगार के रूप में देखते आए हैं. यह शब्दावली उनके व्यक्तित्व के उन पक्षों को सामने लागने का काम करती है जो सक्रिय रूप से न्याय की खोज में जुटी हैं और जिन्हें इस बात का ज्ञान है कि ज़मीनी स्तर पर ‘न्याय’ की क्या स्थिति है और इसे पाने के लिए किस तरह की भुलभुलैया से गुज़रना होता है.
‘केसवर्कर्स से एक मुलाकात’ सीरीज़ के ज़रिए मिलिए उन 12 केसवर्करों से जिन्होंने हिंसा की शब्दावली को तैयार करने का काम किया है. और जानिए कि एक महिला को हिंसा से बचाने या उसे न्याय दिलवाने के लिए एक केसवर्कर को परिवार, समुदाय और प्रशासनिक ढांचे के त्रिकोणीय समीकरण से कैसे जूझना पड़ता है?