फ से फील्ड, श से शिक्षा: एपिसोड 2 अचूकी और मारवाड़ी फैमिली

मारवाड़ी परिवार में जन्मी एक लड़की के शिक्षा के अनुभव

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मारवाड़ी परिवार और शिक्षा के अनुभव की पढ़ाई

फ से फ़ील्ड, श से शिक्षा के दूसरे एपिसोड में सुनिए एक मारवाड़ी परिवार में एक लड़की के शिक्षा के अनुभव. मनीषा की इस कहानी की मुख्य किरदार है – अचूकी, जो अपनी धारदार हाज़िर-जवाबी और अविराम बोलते रहने की ज़बरदस्त कला के साथ अपने नाम को सार्थक बनाती है. जितना उत्साह उसके भीतर अपनी कहानियों को लेकर दिखाई देता है, ठीक उसके उलट अपने मारवाड़ी बनिया समुदाय के बारे में बात करते हुए वह किसी अबूझ पहेली की तरह उलझी नज़र आती है. मारवाड़ी समुदाय की बात करते हुए परेशान, हैरान अचूकी को समझ नहीं आता कि वह रोए या चिल्लाए. वह हमेशा यही सोचती है कि, “क्या कभी मारवाड़ी समुदाय की मानसिकता में बदलाव आएगा?” सुनिए हमारी अचूकी की कहानी खुद मनीषा की ज़ुबानी.

भारत के ग्रामीण इलाकों से निकले, शिक्षा के अनुभव और उनमें कल्पनाओं के पंख लगाए 10 कहानियों की यह ऑडियो शृंखला अब आपके सामने है. इस शृंखला की हर कहानी अपने आप में शिक्षा के अनुभवों और उन्हें देखने के नज़रिए से बिलकुल जुदा है. ये कहानियां सवाल करती हैं कि क्लासरूम के बाहर हम शिक्षा को कैसे देखते हैं? और उससे भी महत्त्वपूर्ण कि शिक्षा तक पहुंच किसकी है? द थर्ड आई लर्निंग लैब की टीम के सदस्यों द्वारा लिखी गई ये कहानियां सवालों और जवाबों की एक नई राह पर हमें लेकर जाती हैं.

द थर्ड आई लर्निंग लैब, एक आर्ट्स बेस्ड पेडागॉजी यानी कला पर आधारित रचनात्मक शिक्षाशास्त्र एवं सह-निर्माण से जुड़ा मंच है जहां हम रचनात्मक एवं आलोचनात्मक दृष्टि से अपने अनुभवों और समझ को खोलने की कोशिश करते हैं. सीखने-सिखाने की हमारी इस प्रक्रिया के केंद्र में हैं हमारे – डिजिटल एजुकेटर्स – जो राजस्थान, उत्तर प्रदेश और झारखण्ड के रहने वाले हैं.

लेखन और कथन– मनीषा चंदा

रेडियो प्रोडक्शन– माधुरी आडवाणी

आवरण – सादिया सईद

अनुभवी परामर्शदाता – माधुरी आडवाणी

संगीत साभार – शबनम विरमानी

टाइटल गीत लेखक – अरूण गुप्ता

टाइटल संगीत गायन – वेदी

एपिसोड संगीत – शबनम विरमानी

साथ ही हम आह्वान प्रोजेक्ट के भी आभारी हैं जिन्होंने हमें अपने गीत “ना देख आंखों से” (लेखक – अरुण गुप्ता, संगीत – शबनम विरमानी) के शुरुआती बोल एवं उसके संगीत को ऑडियो कहानियों में इस्तेमाल करने की इजाज़त दी है.

हम चंबल मीडिया से जुड़ी लक्ष्मी और निरंतर संस्था से जुड़ी अनिता और प्रार्थना को भी तहे दिल से धन्यवाद कहना चाहते हैं जिन्होंने अपनी व्यस्तता के बावजूद कहानियों को सुनकर उनपर अपनी प्रतिक्रिया हमसे साझा की.

हफ्ते में दो दिन – सोमवार और बुधवार – को नई कहानी सुनने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें.

अपने शिक्षा के अनुभव साझा करने के लिए आप हमे हमारे ईमेल आईडी पर लिख सकते है: [email protected].

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