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एपिसोड 06

सुनीता प्रजापति: अपराध और खामोशी के बीच क्राइम रिपोर्टिंग

F रेटेड के इस सीज़न फिनाले में मिलिए ग्रामीण डिजिटल न्यूज़चैनल ‘खबर लहरिया’ से जुड़ी पत्रकार सुनीता प्रजापति से, जो अपराध और खामोशी के बीच क्राइम रिपोर्टिंग करने की अपनी यात्रा पर हमें साथ लेकर जाती हैं. उत्तर-प्रदेश के महोबा ज़िले से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाली सुनीता के काम का विस्तार दिल्ली जैसे महानगर तक फैला है.

सुनीता ने साल 2012 में खबर लहरिया के साथ काम करना शुरू किया और 2020 तक वे वरिष्ठ संवाददाता के पद पर काम करती रहीं. 2021 से वे डिजिटल मीडिया सोशल इंटरप्राइज़ – चंबल मीडिया के ट्रेनिंग वर्टिकल चंबल एकेडमी में ऑपरेशन मैनेजर के रूप में युवा लड़कियों को पत्रकारिता में ट्रेन करती हैं और उन्हें फ़ील्ड रिपोर्टिंग के गुण सिखाती हैं.

“मुझे एक मौके की बहुत तलाश थी. मैं कुछ बड़ा करना चाहती थी. बचपन में पुलिस को देखकर लगता था कि उनके पास कितनी पावर है. वे पैंट-शर्ट पहनते हैं, जब चाहें किसी को रोक लेते हैं, रात में घूमते हैं. ये सब मुझे आकर्षित करता था, लेकिन जब मैं खबर लहरिया के साथ जुड़ी और बतौर पत्रकार थाने जाती तो मुझे बैठने के लिए कुर्सी मिलती, लोग मुझे सम्मान देते, ये सब मुझे बहुत अच्छा लगता था. मैं डीएम के पास जा रही हूं, विधायक से सीधे-सीधे बात कर रही हूं. जहां लोग घर में नहीं बोलने देते, बड़ों के सामने नहीं बोलने देते वहां मैं इतने पावरफुल लोगों के सामने बैठकर सवाल-जवाब कर रही हूं, उनसे बहस कर रही हूं, इससे अच्छी चीज़ कुछ हो ही नहीं सकती थी.”

सुनीता के लिए क्राइम रिपोर्टिंग असल में अपराध को उसकी जड़ तक समझने की कोशिश है. बचपन में अवैध खनन के दौरान किसी की मौत या गांव में दहेज के लिए किसी महिला को मार डालने जैसी खबरें जहां रोज़मर्रा की आम घटना जैसी होती थीं, वहीं पत्रकार बनने के बाद वे इन घटनाओं की जड़ की तरफ मुड़ीं. कौन, कहां, क्या, कैसे, कब और कैसे – सुनीता के लिए यह अपराध को जानने-समझने का मूलमंत्र है और ताकतवर लोगों की आंखों में आंखें मिलाकर उनसे सवाल करना उन्हें हिम्मत और ताकत देता है. आइए, सुनते हैं सुनीता की ज़ुबानी, उनकी कहानी.

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अक्टूबर 2014 में आयोजित बाथ फिल्म फेस्टिवल के दौरान पहली बार एफ (F) रेटिंग की शुरुआत हुई. एफ (F) रेटिंग का मतलब उन फिल्मों से है जिनकी निर्देशक महिला हों, या फिल्म की लेखक महिला हों और अगर कोई महिला मुख्य किरदार की भूमिका में है तो फिर वह कहलाता है गोल्ड रेटिंग, मतलब ट्रिपल एफ (F)! दरअसल, एफ (F) रेटिंग की बुनियाद फिल्मों में और पूरी फिल्म उद्योग में महिलाओं के लिए बराबरी के दर्जे से है.

कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया जहां नारीवादी नज़रिया सिर्फ फिल्मों में ही नहीं बल्कि सभी प्रथाओं में केंद्रीय भूमिका में हो? इस कल्पना को साकार करते हुए आज हम इस नारीवादी नज़रिए को पॉडकास्ट के बरास्ते आपके पास लेकर आए हैं. इस शो में आप मिलेंगे अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले अभ्यासकर्ताओं से और नारीवादी नज़र को केंद्र में रखते हुए द थर्ड आई टीम के साथ होंगी रोचक, शानदार, जानदार बातें.

द थर्ड आई अपराध संस्करण को यहां देखें. 

हिंदी और अंग्रज़ी में हमारी वेबसाईट का पता: https://thethirdeyehindi.in/ और https://thethirdeyeportal.in/

कवर इमेज : तविशा सिंह

माधुरी अडवाणी निरंतर रेडियो पर कहानियों एवं संवादों के निर्माण, रिकॉर्डिंग, एडिटिंग एवं उसे तैयार करने का काम करती हैं. वे द थर्ड आई के कार्यक्रम द लर्निंग लैब से भी जुड़ी हैं. द लर्निंग लैब के साथ वे कार्यशालाओं का मार्गदर्शन और संचालन करती हैं, जहां वे ‘हम अपनी कहानियां कैसे बता और लिख सकते हैं’ की नज़र से विषयों को समझने-समझाने का काम करती हैं.

जूही एक लेखक एवं शोधकर्ता हैं. इन्हें शोधपरक लंबे लेख लिखना पसंद है. वे संपादकीय सहायक होने के साथ-साथ द थर्ड आई के पॉडकास्ट चैनल निरंतर रेडियो के लिए पॉडकास्ट एपिसोड और ऑडियो भी तैयार करती हैं.
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