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ट्रेलर: फ से फील्ड, इश्श से इश्क

इश्श्श्श्श्श्श्श….. ‘फ से फील्ड, इश्श से इश्क’ प्यार, फंतासियां, चाहतें, गुस्सा, मोहब्बतें… इस ऑडियो सीरीज़ में सब कुछ है. चाहतें, मज़ा और खतरा के अपने-अपने अनुभव जो देश के कोने-कोने से निकले हैं. ये कहानियां नारीवादी नज़रिए से यौनिकता को देखने की कोशिश कर रही हैं जिसके केंद्र में हमारा अवचेतन है.
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लेकिन ये कहानियां यूं नहीं तैयार हो गईं. इसकी शुरुआत होती है हमारी एक वर्कशॉप से, जहां हम साइकी या अवचेतन के चश्मे से यौनिकता को देखने का मतलब क्या होता है और इससे हम क्या समझते हैं, जैसे प्रश्नों पर बातचीत करने बैठे थे. तभी हमने गेल रूबीन के चार्म सर्किल और जैक लकान के ‘मनाही कामुकता जगाती है’ के विचारों को भी विस्तार से जानने की कोशिश की कि कैसे ये हमें हमारी यौनिकता, हमारी चाहतों को समझने में मदद कर रहे हैं. 

जया शर्मा और अर्चना द्विवेदी, हमारे दोनों मेंटर्स ने हमें खुद की ज़िंदगी में झांककर ऐसे पल या घटनाओं की ओर देखने को कहा, जहां हमें खतरे के बारे में मालूम था लेकिन फिर भी मज़ा आया, या मज़ा आया ही इसलिए क्योंकि वहां खतरा था. हमारा दावा है कि इन कहानियों को सुनकर आपके मन में भी ऐसे कई सवाल आएंगे और हो सकता है पहले से मौजूद कुछ सवालों के जवाब भी मिल जाएं. जो भी होगा ये अहसास, ये कहानियां अपनी सी लगेंगी. 

दिल और दिमाग में इतनी चाहतें हैं पर अभी भी इनके बारे में बात करना आसान नहीं. यही वजह है कि इन कहानियों के ज़्यादातर लेखकों ने अपना नाम गुप्त रखने की गुज़ारिश की है इसलिए हमने उनके नाम बदल दिए हैं. 

तो, हर हफ्ते बुधवार और गुरुवार को सुनिए, एक नई कहानी

निर्माता और संपादन:

माधुरी आडवाणी

फेसिलिटेटर :

जया शर्मा और अर्चना द्विवेदी

चित्रांकन:

तवीशा सिंह

संगीत: 

QKThr Song by Aphex Twin

आवाज़:

जूही जोतवानी और माधुरी अडवाणी

विवरण:

सुमन परमार

मज़ा और खतरा संस्करण के अन्य लेख पढ़ें.  

माधुरी को कहानियां सुनाने में मज़ा आता है और वे अपने इस हुनर का इस्तेमाल महिलाओं के विभिन्न समुदायों और पीढ़ियों के बीच संवाद स्थापित करने के माध्यम के रूप में करती हैं. जब वे रिकार्डिंग या साक्षात्कार नहीं कर रही होतीं तब माधुरी को यू ट्यूब चैनल पर अपने कहानियों का अड्डा पर समाज में चल रही बगावत की घटनाओं को ढूंढते और उनका दस्तावेज़ीकरण करते पाया जा सकता है. समाज शास्त्र की छात्रा होने के नाते, वे हमेशा अपने चारों ओर गढ़े गए सामाजिक ढांचों को आलोचनात्मक नज़र से तब तक परखती रहती हैं, जब तक कॉफ़ी पर चर्चा के लिए कोई नहीं टकरा जाता. माधुरी द थर्ड आई में पॉडकास्ट प्रोड्यूसर हैं.
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