
फ से फ़ील्ड, ज से जेल: सरिता और मैडम – एपिसोड 4
सरिता और मैडम के इस चौथे और आखिरी एपिसोड में क्रुपा उस याद को साझा कर रही है जब सरिता एक बार फिर प्रयास के पास आती है लेकिन इस बार वो कुछ और ही चाहती है – इस बार वो सीखना चाहती है.
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सरिता और मैडम के इस चौथे और आखिरी एपिसोड में क्रुपा उस याद को साझा कर रही है जब सरिता एक बार फिर प्रयास के पास आती है लेकिन इस बार वो कुछ और ही चाहती है – इस बार वो सीखना चाहती है.
सरिता जब भी प्रयास के दरवाज़े खट-खटाती है तो इसका मतलब परेशानी ही नहीं होता, जो वो अपने साथ लाती है. कभी वो कुछ मसलों के ऐसे अनोखे हल भी ढूंढ लाती है जो हमें परेशानी को अलग नज़रिए से देखने पर मजबूर कर देते हैं. इस तीसरे एपिसोड में क्रुपा हमें सरिता के उस एक खास दिन के बारे में बता रही हैं जब उसने मोल-भाव करने से साफ इंकार कर दिया.
लॉकडाउन तो आपको याद है न? ऐसा नहीं लगता कभी कि ये बरसों पहले की बात हो? और कभी लगता है कि ये कल की ही बात है! जो भी है ये सभी के लिए भयानक ही था. ऐसे समय में जब हर कोई परेशान था तो सेक्स वर्कर्स कैसे अपना जीवन गुज़ार पा रही थीं? और एक सामाजिक कार्यकर्ता किस तरह की चुनौतियों का सामना कर रही थी? सरिता और मैडम के इस दूसरे एपिसोड में क्रुपा हमें यही बताने वाली हैं कि लॉकडाउन के दौरान सरिता ने क्या किया.
‘फ से फ़ील्ड ज से जेल’ पॉडकास्ट सीरीज़ के इस नए सीज़न में हम लाएं हैं जेल के भीतर से कहानियां.
द थर्ड आई में हमारा काम फ़ील्ड की समझ को विस्तार देना भी है. हम फ़ील्ड पर काम करने वाले लोगों की कहानियों को सामने लाने का प्रयास करते हैं जो अपने अनोखे अंदाज़ के साथ इसे जीवंत बनाते हैं.
यह लेख सामाजिक कार्य (सोशल वर्क) के क्षेत्र में काम करने वाले उन पेशेवरों एवं छात्रों की बात करता है जिन्हें कैदियों के साथ काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. यह उन महत्त्वपूर्ण बिंदुओं का पता लगाने का काम करता है जिन्हें इस काम के दौरान पार करने की ज़रूरत होती है ताकि एक ऐसी आबादी के साथ काम किया जा सके जिसके बारे में मौजूदा आख्यान सकारात्मक नहीं होते.
F रेटेड इंटरव्यूह के दूसरे एपिसोड में मिलिए नीतू सिंह से जो एक स्वतंत्र पत्रकार, मीडिया प्रशिक्षक और शेड्स ऑफ रूलर इंडिया यू-ट्यूब चैनल की संस्थापक हैं. पत्रकारिता के अपने करियर की शुरुआत ग्रामीण मीडिया संस्थान ‘गांव कनेक्शन’ से करने वाली नीतू अपने काम के ज़रिए इस सोच को चुनौती देती हैं कि एक रिपोर्टर का काम सिर्फ़ घटना के बारे में जानकारी देना भर है.
पेश है इस संस्करण की पहली कहानी ‘कुन्तला’. सच्ची घटना पर आधारित यह कहानी लेखक सीमा आज़ाद ने दो साल तक इलाहाबाद की नैनी जेल में रहने के अपने अनुभवों के आधार पर तैयार की है. ये उनकी किताब ‘औरत का सफर’ में प्रकाशित है.
F – रेटेड इंटरव्यू के पहले एपिसोड में मिलिए द्विभाषी लेखक एवं पत्रकार प्रियंका दूबे से. इस एपिसोड में प्रियंका, 14 साल के अपने खोजी रिपोर्टिंग करियर के दौरान हिंसा, सामाजिक न्याय और मानवधिकारों से जुड़े मामलों पर व्यापक स्तर पर लिखने, खुद की तैयारी, जीवन पर उसके प्रभाव और कविताओं के साथ, पर विस्तार से बातचीत कर रही हैं.
निरंतर रेडियो पर पेश है एक नया शो, जहां होंगी बातें F – रेटेड यानी फेमिनिस्ट रेटेड! इस शो में आप मिलेंगे अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले अभ्यासकर्ताओं से और नारीवादी नज़र को केंद्र में रखते हुए द थर्ड आई टीम के साथ होंगी रोचक, शानदार, जानदार बातें.
महिला कैदियों की ज़िंदगी के बारे में हम बहुत कम जानते हैं. लोक कल्पनाओं और कहानियों में या तो वे सिरे से गायब होती हैं या सामाजिक नियमों का उल्लंघन करने वाली, असाधारण, बिगड़ी हुई महिला के रूप में उनका चित्रण किया जाता है. पर, एक आम महिला कैदी का जीवन कैसा है? उसकी आपराधिकता क्या है? इसके जड़ में क्या छिपा होता है? उस महिला कैदी के डर, सपने और चाहतें क्या हैं? उसके लिए जेल के बाद की दुनिया कैसी होती है?