कार्यशालाओं और अन्य चर्चाओं में ये कहानी सुनाने के बाद इन सवालों से चर्चा को आगे बढ़ाया जा सकता है: एक लिस्ट बनाएं जिसमें सबके साथ मिलकर एक औरत और मर्द द्वारा सारे दिन में किए जाने वाले कार्य और उनका समय लिखें. किसके द्वारा किए गए कार्य और काम के घंटे ज़्यादा हैं? क्या इन कार्यों को करने के लिए उन्हें श्रेय मिल रहा है? किसके काम का महत्त्व ज़्यादा है और क्यों?
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‘बोलती कहानियां’ में हर बार हम लेकर आते हैं जेंडर, यौनिकता, सत्ता, जाति, जेंडर आधारित हिंसा जैसे विषयों पर एक नई रोचक कहानी. निरंतर के पिटारे के साथ-साथ हिन्दी साहित्य के विशाल भंडारे से चुनकर निकाली गई इन कहानियों के कई उपयोग हो सकते हैं. इन्हें जेंडर कार्यशालाओं में सुनाया जा सकता है, जहां गंभीर एवं जटिल विषयों पर बातचीत के लिए ये कहानियां सहायक का काम करती हैं. इन कहानियों को स्कूली विद्यार्थियों, कम्यूनिटी लाइब्रेरी, यूथ ग्रुप्स, प्रौढ़ शिक्षा केंद्र, पुरूषों के चर्चा समूहों में भी संबंधित विषयों पर बातचीत के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जो आमतौर पर उनके विमर्श के केंद्र से बाहर ही रहते हैं. निरंतर ट्रस्ट ने खुद इन कहानियों का इस्तेमाल फील्ड वर्कशॉप्स में किया है और इनसे वहां कभी गहरी, कभी रोचक और कभी चौका देने वाली चर्चाएं निकलकर सामने आई हैं.