कोलकाता, एक ऐसा शहर जिसके आधुनिक स्वरूप में उसका इतिहास गहरे समाहित है. कोलकाता शहर के आकार को बनाने में उसके स्थान, उसके बंदरगाहों के माध्यम से लड़े गए युद्धों, सीमाओं के पार से आने वाले प्रवासियों और निश्चित रूप से, ब्रिटिश उपनिवेशवाद एवं लगातार बदलती उनकी नैतिकता और उसके प्रभाव की अहम भूमिका है.
‘सेक्स (वर्क) एंड द सिटी’ फिल्म में कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय से जुड़ी प्रोफेसर परोमिता चक्रवर्ती, हमें इतिहास के रास्ते यह बताती हैं कि कोलकाता शहर के रूप को आकार देने में यौनकर्मियों की भूमिका कितनी स्वाभाविक थी.
फिल्म यह भी बताती है कि उस दौरान किस तरह शहर का विस्तार हो रहा था और कैसे जेंडर और वर्ग के खांचें मज़बूत होते गए. यह फिल्म कोविड महामारी को अतीत की एक प्रतिध्वनि के रूप में देखती है, जब अंग्रेज़ों ने 1860 के दशक में संक्रामक रोग अधिनियम को पारित किया था. इस अधिनियम के ज़रिए राज्य को यह शक्ति हासिल हो गई कि वे वेश्यावृत्ति पर अपना नियंत्रण स्थापित कर सके, ताकि ब्रिटिश आर्मी और नेवी के सैनिकों के बीच यौन संचारित रोगों के प्रसार को कम किया जा सके.
फिल्म, यौनकर्मियों के नज़रिए से कोलकाता की ऐतिहासिक सुंदरता एवं अनुभवों को हमारे सामने खोलती है. एक बहुत ही पुराने शहर के सबसे पुराने व्यवसाय की कहानी को बताने के लिए यह फिल्म संग्रह की गई सामग्रियों का रचनात्मक एवं कलात्मक तरीके से प्रयोग कर उसे हमारे सामने प्रस्तुत करती है.
निर्माता : द थर्ड आई, निरंतर ट्रस्ट