
ग्रामीण महिला पत्रकार और उनके ट्रोल्स, भाग-2
द थर्ड आई पर खबर लहरिया की पूजा पांडे और सुनीता प्रजापती के बीच बातचीत जारी है. जिसमें वे बात कर रही हैं ग्रामीण पत्रकार होने के अनुभव पर.
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सामाजिक, राजनीतिक, बौद्धिक विचार के रूप में काम. इसके इतिहास और विकास की नारीवादी नज़रिए से छानबीन
द थर्ड आई पर खबर लहरिया की पूजा पांडे और सुनीता प्रजापती के बीच बातचीत जारी है. जिसमें वे बात कर रही हैं ग्रामीण पत्रकार होने के अनुभव पर.
क्या ऐसा कोई तरीका हो सकता है कि घर बसाने के इस काम से उस जेंडर पहचान को अलग रखा जाए जिसे ये ‘स्वाभाविक रूप से’ बढ़ावा देता लगता है?
सावित्रीबाई फुले के 190th जन्मदिवस पर, आज के भारत की एक युवा लड़की ने उन्हें पत्र लिखा. सावित्रीबाई फुले पहली महिला अध्यापक थीं और भारत में लड़कियों के लिए स्कूल खोलने वाली भी पहली व्यक्ति थीं.
स्टे होम, कितना सुरक्षित? के तीसरे भाग में हम दर्शक या बाईस्टैंडर की भूमिका की छान-बीन कर रहे हैं – जी हां, आपके और हमारे जैसे लोग, जो जेंडर आधारित हिंसा की स्थितियों में अपने आप को मौजूद पाते हैं.
कैसा दिखता है या दिखती है एक किसान? आपके मन में इसकी जो छवि उभरी है, मुमकिन है कि यह एक मर्द की छवि हो. यह कहना ठीक है कि यह एक रूढ़ छवि है.
हम किसे, कब और कैसे प्यार करते हैं, क्या इसे कानून नियंत्रित कर सकता है? क्या एक औरत की इच्छा पर और पहरा लगाया जा सकता है?
क्या उन तक ऑनलाइन शिक्षा पहुंच पा रही है? क्या छात्र इंटरनेट या उपकरण जुटा पा रहे हैं? शिक्षा के क्षेत्र में इस विकल्प पर उनके क्या विचार हैं?
ऐश्वर्या रेड्डी के दुखद देहांत ने, खासकर शिक्षा के संदर्भ में, भारत में मौजूद दो अलग-अलग दुनियाओं की डिजिटल तक पहुंच के फर्क को उजागर किया है.
शादी की उम्र बड़ा देने से शिक्षा का बुनियादी ढांचा कैसे हम तक पहुंच जाएगा? अलवर, राजस्थान की लड़कियों ने पूछा. अगर कोई स्कूल ही नहीं है, आने- जाने के लिए परिवहन की सुविधा नहीं है. शादी की कानूनन उम्र बदल कर 21 करने से हमें स्कूल जाने में कैसे मदद मिलेगी?
भाग 3 में हम मिल रहे हैं टीच फॉर इंडिया की फेलो, मुम्बई में रहने वाली फ्रेया से जिन्होंने महसूस किया कि उनके BMC स्कूल छात्र कुछ सीख सकें इससे पहले उन्हें खाना खाने की ज़रुरत है.