द थर्ड आई टीम के लेख

द थर्ड आई की पाठ्य सामग्री तैयार करने वाले लोगों के समूह में शिक्षाविद, डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मकार, कहानीकार जैसे पेशेवर लोग हैं. इन्हें कहानियां लिखने, मौखिक इतिहास जमा करने और ग्रामीण तथा कमज़ोर तबक़ों के लिए संदर्भगत सीखने−सिखाने के तरीकों को विकसित करने का व्यापक अनुभव है.

#21sekyahoga

बुलंद आवाज़ें का पहला खण्ड, भारतीय महिलाओं की शादी की वैधिक उम्र में किए जा रहे बदलाव की पड़ताल करता है.

टीचर टॉक्स, भाग 2

जहां हम देश की अलग अलग जगहों के शिक्षकों से मिलते हैं, जो बताते हैं कि वे भाव और शिक्षा शैली के स्तर पर किस तरह कोविड 19 की नई ‘हकीकत’ के साथ बदल रहे हैं.

घर अभी दूर है

चंबल मीडिया के सहयोग से हम लेकर आए हैं ‘लिटिल फ़िल्म शृंखला’. यह शृंखला हर दिखाई देने वाली चीज़ का दूसरा पहलू तलाशती है.

होमाय व्यारावाला

पहली महिला पत्रकार पर फोटो आलेख, जिन्होंने फोटोग्राफी को काम के रूप में स्वीकार किया, अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाया.

टीचर टॉक्स, लॉकडाउन संस्करण, भाग 1

जिसमें हम भारत के अलग-अलग राज्यों के शिक्षकों से मिलेंगे और जानेंगे कि कैसे वे इस ‘नए सामान्य’ के अनुरूप अपने आप को और अपने पढ़ने-पढ़ाने के तरीके को ढाल रहे हैं.

“डिजिटल, भला ये है क्या?”

डिजिटल इंडिया के संवाद में हम ‘किसी को भी पीछे न छोड़ने’ की शपथ लेते तो हैं, मगर इस डिजिटल युग में सत्ता तक पहुंच किसकी है?

मलिन भूमि

द थर्ड आई कवियों और कलाकारों के साथ एक नई शृंखला पेश करने जा रही है जिसमें वे एक−दूसरे के संसार की व्याख्या करेंगे.

स्टे होम, कितना सुरक्षित Ep 1: लॉकडाउन के समय जेंडर आधारित हिंसा

हमने तालाबंदी के दौरान घरेलू हिंसा बहुत अधिक बढ़ जाने के बारे में सुना है. ‘स्टे होम, कितना सुरक्षित’ के पहले एपिसोड में हम मिल रहे हैं, CEHAT संस्था (मुंबई) की संगीता रेगे और नज़रिया संस्था (दिल्ली) की ऋतुपर्णा बॉरा से. वे हमें बता रही हैं कि कैसे उन्हें रातों-रात एक नया तंत्र विकसित करना पड़ा ताकि वे घर में प्रताड़ित करने वालों के साथ फंसी औरतों और क्वीयर लोगों की सहायता कर सकें.

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